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वर्तमान में जीने की कला सीखें
विगत की चर्चा करते हुए हम प्राय:
यह भूल जाते हैं कि अतीत एक स्वपन है। वर्तमान के लिए इसका कोई उपयोग नहीं है। भविष्य
भी एक स्वप्न ही है, लेकिन
वह हमारी राय में होता है। जबकि भूत हमारी नियंत्रण से दूर होता है। इसलिए भविष्य को
सुखद बनाने के लिए वर्तमान को कभी हाथ से नहीं जाने देना चाहिए।
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे अन्तर्मन में जो भाव चलता रहता
है वही स्वप्न के रूप में सामने आता है। इसलिए हमें सकारात्मक दृष्टि से किसी भी विषय
पर सोचना चाहिए। जीवन को सफल बनाने के लिए यही उचित है कि हम सुनहरे भविष्य का सपना
देखें। उसी के मुताबिक अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करें। वर्तमान कठोर है, भविष्य अनिश्चित, एक हमारे हाथ में होता है जबकि दूसरा कोसों दूर। अतः जो हमारे हाथ में है, उसी का सेवन (उपयोग) करें। संस्कृत में कहा भी गया है कि
“ यों ध्रुवानी परित्यज्य अध्रुवानी निषेवते |
ध्रुवानी तस्य नष्यन्ती अध्रुवण नष्टमेव ही ||”
अर्थात जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित
का सेवन करता है, उसका
निश्चित भी नष्ट हो जाता है, अनिश्चित तो नष्ट है ही।
अतीत चाहे दुखद क्यों न हो उसकी
स्मृतियाँ सुखद होती है, परंतु
वे हमारी किस काम की? बहुत से हमारे जैसे व्यक्ति भविष्य से घबड़ाकर
उन्हीं स्मृतियों में गोते लगाते हुए अपने वर्तमान को चौपट कर लेते है। भविष्य के निर्माण
के लिए अतीत का अध्ययन जरूरी है। इससे गलती को सुधारने का मौका मिलता है। विगत में
हुई लगती पर चिंता के बजाए चिंतन करना सीखना चाहिए। भविष्य की शोभा वर्तमान में ढलने
में होती है। ऐसा नहीं हो कि हम रोज – रोज नई – नई योजनाएँ ही बनाते रहें, कल्पना कर – कर के ही सुख से रहें। ऐसी परिस्थिति में जो परिश्रम, लगन, उत्साह हमने उन योजनाओं को बनाने में लगाया था
वह खत्म हो जाएगा। हम यह मानने लगेगे कि तैयार योजना हमारे वश से बाहर की चीज़ है।
भविष्य पर अधिक विश्वास करनेवाले
अपने वर्तमान को कष्टमय बना लेते है। मसलन यदि हम कोई परीक्षा देते है तो जब तक उस
परीक्षा में अंतिम रूप से चयनित नहीं हो जाते है तब तक तैयारी करते रहना चाहिए। ऐसा
नहीं हो कि अंतिम चयन से पहले ही हम सफलता के प्रति आश्वस्त हो तैयारी छोड़ दें। ऐसी
स्थिति में अनुकूल परिणाम न आने पर हम अवसाद (डिप्रेसन) का शिकार होंगे और हमारा अगला
परिणाम भी प्रवाहित होगा। यदि हम भविष्य को बनाने वाली परीक्षा के प्रति प्रतिबद्ध
बने रहेंगे तो भविष्य हमारी आज्ञाकारी बनकर जाएगा। अन्यथा, वह हमारा स्वामी बन जाएगा। भविष्य
को वर्तमान न बनाना हमारी नियति बन जाएगी। भविष्य प्रकृति की अत्यंत महत्वपूर्ण देन
है और जीवन का श्रेष्ठतम वरदान भी। हमारी आँखें सामने की ओर देखती हैं। जो पीछे की
ओर देखता है, वह प्रकृति
के नियम के विरूद्ध विद्रोह करने का दोषी होता है।
भविष्य की कल्पनाओं को साकार करने के लिए हम वर्तमान में ही प्रयत्न
करते हैं। फलतः वर्तमान और भविष्य एक सूत्र में बंध जाता है। वर्तमान और भविष्य के
बीच नित्य (समवायी) संबंध है। जिस प्रकार जल और तरंग, शब्द और अर्थ, मिट्टी और घड़ा का संबंध है, ठीक उसी प्रकार वर्तमान
और भविष्य का संबंध है।
भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए वर्तमान में हमें निरंतर प्रयत्नशील
रहना चाहिए। यह सही है कि भविष्यरूपी स्वर्ग के लिए वर्तमान में ही गहरी नींव देनी
पड़ेगी। भविष्यद्रष्टा बनने के लिए वर्तमान का स्त्रष्टा बनना परम आवश्यक है। हम वर्तमान
में जितना श्रम करेंगे भविष्य का स्वरूप उतना ही निखरेगा। सैमुअल जौनसन ने ठीक ही लिखा
है कि भविष्य को वर्तमान द्वारा खरीदा जा सकता है। भविष्य कही होता नहीं। उसको हम स्वयं
अपने परिश्रम, लगन और उत्साह को
निर्माण करते है। स्वप्न बनते हैं निर्माण सृजन की भावभूमि पर।
जब तक हम पूर्ण निष्ठा एवं विश्वास के साथ भविष्य कि निर्माण करने में
प्रयत्नशील रहेंगे, तब
तक भविष्य हमारी प्रतीक्षा करता रहेगा। हमारे लिए उसके द्वारा सदैव उन्मुक्त बने रहेंगे।
अतः भविष्य को सुखद बनाने के लिए वर्तमान में जीने की कला सीखें।
Learn the art of living at present
Referring
to the past, we often forget that the past is a selfishness. There is no use
for the present. The future is also a dream, but it is in our opinion. Whereas
the past is far from our control. Therefore, the present should never go hand
in hand to make the future pleasant.
Psychologists
believe that the spirit that keeps running in our mind comes in the form of a
dream. Therefore, we should think positively about any topic. It is advisable
to make life a success that we dream of a golden future. According to that, set
the goal of your life. The present is rude, the future is uncertain, one is in
our hands while the other is far away. So, use what is in our hands. It has
been said in Sanskrit that
वर्तमान-में-जीने-की-कला-सीखें |
“yon dhruvaanee parityajy
adhruvaanee nishevate |
dhruvaanee tasy nashyantee adhruvan
nashtamev hee ||”
That
is, whatever one chooses to be uncertain, it definitely destroys, its destiny
is destroyed, it is destined to be uncertain.
Whether
the past is tragic, its memories are pleasant, but what work of ours? Many people
like us dread their future by diving in the same memories and dashing their
present. The study of the past is essential for the future creation. This gives
an opportunity to correct the mistake. Instead of worrying, it should be
learned to contemplate the idea that happened in the past.
The
beauty of the future is in the present time. It should not happen that we are
constantly making new plans every day - keep thinking, imagine and live
happily. In such a situation, the hard work, passion, enthusiasm that we put
into making those plans will end. We will begin to believe that the prepared
plan is something beyond our control.
People
who believe more in the future, make their present to be painful. For example,
if we take any exam, we should continue preparing till the final examination is
done in that examination. It may not be that before the final selection we will
be confident about success, leave the preparation. In such a situation, if we
do not get favorable results, we will be suffering from depression and our next
result will also flow. If we remain committed to future examinations, then the
future will be obedient. Otherwise, he will become our master. Do not make the
future a present, our destiny will become. The future is a very important gift
of nature and the best gift of life also. Our eyes look at the front Who looks
backwards, is guilty of revolt against the law of nature.
We
currently try to realize the fantasies of the future. Consequently, the present
and future bonds in a formula. There is a constant (combined) relationship
between present and future. Just as the water and the wave, the word and the
meaning, the soil and the pitcher are concerned, the same is the current and
future relationship.
वर्तमान-में-जीने-की-कला-सीखें |
In
order to make the future safer, we should be constantly trying. It is true that
a future foundation for the future Paradise will have to give deep foundation.
To become a prophet, becoming the creator of the present is absolutely
necessary. The extent to which we will labor now, the nature of the future will
be the same. Samuel Johnson has just written that the future can be bought by
the present. The future does not happen. We create our own diligence, passion
and enthusiasm. Dreams are created on the homeland of creation creation.
As
long as we are striving to build a future with complete integrity and trust,
the future will be waiting for us. He will always remain unmanned by us for
him. So to learn the art of living at present to make the future enjoyable.
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By: - FACE Classes