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अध्ययन करना और अध्ययन की हुई बात का मनन करना दो अलग-अलग चीजें हैं। यानि आपकी नजरें तो किताब पर है लेकिन दिमाग टीवी में आ रहे क्रिकेट मैच में चल रहा है कि अभी कितने रन हो गए होंगे या कितने विकेट उड़ गए होंगे। तो इससे शायद ही कुछ ग्रहण कर पाएं।
यहां भी महत्वपूर्ण है कि क्या पढ़ा जा रहा है जाहिर सी बात है कि अगर आपके पास सीमित समय है तो आप इसे गैरजरूरी विषयों के अध्ययन में नहीं गवां सकते। अतः उचित होगा कि आप अपने पाठ्यक्रम को बखूबी समझ ले ताकि पाठ्यक्रम से बाहर के अध्यायों आपका समय नष्ट ना हो।
2. हम और हमारा परिवार
4. परीक्षा देना भी एक कला है।
6. जरूरी है सम्पूर्ण समर्पण
7. अभी नहीं तो कभी नहीं
8. मेरा संदेश
9. लोकप्रिए बनने के टिप्स
11. भीड़ से अलग बनें |
नमस्कार दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं मैं अपने ब्लॉग पर पिछले
कुछ दिनों से सफलता से संबंधित मोटिवेशनल आर्टिकल लिखते आ रहा हूं , जिसे आप सभी ने सराहा भी है । आज मैं आप
लोगों के सामने एक नए विषय पर आर्टिकल लिख रहा हूं. आज मैं आपलोगों के लिए पढ़ने के तरीका से संबन्धित article लिख रहा हूँ जिसे पढ़कर आप जरूर लाभान्वित होंगे। अगर आपको मेरा Article पसंद आए तो इसे जरूर अपने दोस्तों, रिस्तेदारों को Share कीजिएगा ताकि वो भी पढ़कर इसका लाभ उठा सके ।
पढ़ने का तरीका भी है महत्वपूर्ण
चाहे युवा किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हो या फिर स्कूल, कॉलेज की परीक्षाओं में
अच्छे अंक लाने के प्रयास में हो, वे सब खूब पढ़ते
हैं। लेकिन कई बार खूब पढ़ने पर भी उन्हें मनोवांछित सफलता प्राप्त नहीं होती। अधिकांश का कहना होता है कि इतना पढ़ने पर भी कुछ नहीं हुआ। इससे तो अच्छा है कि पढ़ना ही छोड़ दिया जाए। लेकिन ऐसा कहने वालों को अपने अध्ययन शैली पर ध्यान
देना चाहिए। सिर्फ पढ़ना और पढ़ने में वक्त गुजारना ही पर्याप्त नहीं है। पढ़ने का तरीका और शैली भी महत्वपूर्ण है। अगर आप मन से पढ़ाई नहीं कर रहे हैं या आप के लिए पढ़ाई मजबूरी है तो आप इससे कुछ भी ग्रहण
नहीं कर पाएंगे।
दरअसल देखा जाए तो हमारी दिनचर्या, हमारे जीवन शैली में कई रूपों से जुड़ा हुआ है। स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही साथ घर पर भी की गई पढ़ाई जीवन हमारी सफलता
का सोपान बनती है।
अध्ययन की भूमिका को कैरियर निर्माण और
व्यक्तित्व विकास में किसी भी तरह से नकारा नहीं जा सकता। यदि आप जीवन में प्रगति करना चाहते हैं। ज्ञान के क्षेत्र में कुछ करना चाहते
हैं तो आपको अन्य प्रयासों के साथ ही साथ अपने अध्ययन शैली को भी कारगर बनाना पड़ेगा।
अक्सर आपको अध्ययन संबंधित आदतों के बारे में सुधार की सलाह आप के माता - पिता, शिक्षकों से मिलती रहती ही होगी। वैसे आजकल पत्र-पत्रिकाओं में भी इस
तरह के सलाह पढ़ने को मिल जाती है। लेकिन पढ़ाई के बोझ और भय से विद्यार्थियों को दी गई सलाह कारगर नहीं लगती जिससे वे लिक से हटकर नहीं सोच पाते।
अध्ययन शैली कारगर बनाना थोड़ा मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं। इसमें कुशलताओं का बारीकी से विश्लेषण करना पड़ता है। शुरुआत अध्ययन के प्रति लगन से की जा
सकती है। इसके लिए आपको खुद को अनुशासित करना होगा। और ऐसे लालच, जिनकी वजह से ध्यान बंटता हो, प्रभावित होने से बचना होगा। पढ़ाई के मामले में अनुशासन को अपनाकर
विद्यार्थी अध्यवसायी होने के महत्व को समझेगा और ठीक परीक्षा के समय शॉर्टकट से अपना कोर्स पूरा करने की
नौबत नहीं आएगी। यह तरीका शुरु में थोड़ा सा कष्ट दायक हो सकता है, लेकिन आगे चक्र इसके लाभ है। इस तरह की अध्ययन
शैली से निर्णय करने की क्षमता का विकास होता है
क्योंकि विद्यार्थियों में अपनी प्राथमिकताएं तय करने की समझ आती है और उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता प्रखर होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि वह समय का सदुपयोग करना
सीख जाता है क्योंकि वह उपलब्ध समय को अध्ययन, खेलकूद, रूचियों जैसे कार्यकलापों के बीच बांटकर संतुलित दिनचर्या बनानी होती है। यह सब उसमें एक तरह का आत्मविश्वास पैदा करता
है।
अध्ययन करना और अध्ययन की हुई बात का मनन करना दो अलग-अलग चीजें हैं। यानि आपकी नजरें तो किताब पर है लेकिन दिमाग टीवी में आ रहे क्रिकेट मैच में चल रहा है कि अभी कितने रन हो गए होंगे या कितने विकेट उड़ गए होंगे। तो इससे शायद ही कुछ ग्रहण कर पाएं।
कुछ लोग अक्सर 1 पंक्ति या पैराग्राफ को बार बार पढ़ते हैं यह दुहराव पंक्ति या पैराग्राफ में छिपे गहरे अर्थ को समझने का हो, तब तो ठीक हैं लेकिन अगर पढ़ाई मन से नहीं की जा रही है तो 5-6 घंटे की पढ़ाई भी व्यर्थ है इसके बजाय मन लगाकर कि घर 1 घंटे की पढ़ाई ही काफी है।
अध्ययन शैली विकसित करते समय सिर्फ और
सिर्फ अपने कैरियर पर नजर रखें। हर जगह अलग अलग तरह की परीक्षाओं का आयोजन होता है जो कई मायनों में स्कूल एवं कॉलेज की
परीक्षाओं से अलग होती है और इसमें वे लोग ही ज्यादा सफल होते हैं जिनके अध्ययन
में गहराई हो और जिनके निर्णय जल्दी होते हो और विश्लेषण करने जैसी क्षमताओं से
युक्त हो, रटने वाले लोग यहां पिछड़ जाते हैं।
यहां भी महत्वपूर्ण है कि क्या पढ़ा जा रहा है जाहिर सी बात है कि अगर आपके पास सीमित समय है तो आप इसे गैरजरूरी विषयों के अध्ययन में नहीं गवां सकते। अतः उचित होगा कि आप अपने पाठ्यक्रम को बखूबी समझ ले ताकि पाठ्यक्रम से बाहर के अध्यायों आपका समय नष्ट ना हो।
ऐसे समय में बाजारू उपन्यासों की बजाय महापुरुषों की आत्मकथाएं जीवनी, आत्म विकास, ज्ञान - विज्ञान से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन विद्यार्थियों पर
अच्छा प्रभाव डालता है।
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